चलो छोड़ दे यह दुनिया
किसीको भी नहीं बतलाएं
हम चुपचाप चले जाये
वहा, जहा धरती ख़त्म होती हो
और स्वर्ग जहा से होती हो शुरू !
किसी नील पहाड़ी की चोटी पर
छोटी सी एक घर हो
जहा तक आँख फैले
बस फूलों की बहार हो
तुम हो , मैं हु
और हमारी आसमान हो !
आँगन में एक झूला हो
उसमें झूले सपने हमारे
बरसात हो जब भी
छत्री , बस एक ही हो
सर्दी हो… बर्फ हो
जमी हुई ख्वाइशें हो
तुम हो , मैं हु
और हमारी आसमान हो !
निचे उतरु , तो जंगल मिले
पाइन की ख़ुश्बू हो
मेरी अरमानों को सीने में लिए
पंख फैलाती बदल हो
तुम हो , मैं हु
और हमारी आसमान हो !
देर तक रातों को
तारो की महफ़िल हो
चाँद खिले , खिरकी पर
जहा तुम खड़े हो
तुम हो , मैं हु
और हमारी आसमान हो !
~मंजरी ~
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